ये समय नहीं है डरने का,
ये समय है फिर निखरने का।

पूरी दुनिया फिर से एक हो गई,
ये समय को समझाने का।।

बेजुबान को साथ में लेकर,
इंसान को फिर से सीखने का।
विरोध की बाते ठुकराकर,
एक दूजे से मिल जाने का।
ये समय नहीं जिजकने का,
ये समय है साथ में चलने का।

इंसान से लेकर कुदरत तक
वो सब कुछ जो तबाह हुआ,
ये समय नहीं घबराने का,
जजुमने का, फिसलने का;
ये समय है मुस्कुराने का,
संभालने का, सुलझाने का।

हम तुझे संवार के ही दम लेंगे,
ये समय को समझाने का।

ये समय नहीं है डरने का,
ये समय है फिर निखरने का...

Hindi Shayri by A.H.P : 111370494

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