सामने ही ख़ूँ से लथपथ रेशमी सलवार है
हद है इसपर भी सभी को रेप से इन्कार है
क़त्ल करके मेमने का भेडिया निश्चिंत है
जाँच मे पाया गया है आज मंगलवार है
शर्म के सारे लबादे दूर लज़्ज़ित हैं पड़े
महफ़िलों में यूं नुमाइश का खुला बाज़ार है
आप सच की तह तलक कैसे पहुँच पाते मियाँ
आपके चारों तरफ़ जब झूठ की दीवार है
देश सारा भीड़ मे तब्दील होगा एकदिन
हर तरफ़ अफ़वाह का बाज़ार जब गुल्ज़ार है
वोट देकर कोसने का फ़ायदा कुछ भी नहीं
जैसी तुमने ख़्वाहिशें की वैसी ही सरकार है
कौन ख़ुद की असलियत से 'जय' होगा रूबरू
लोग जब कहने लगे हैं आइना बीमार है

Hindi Poem by jaydev singh : 111367798
Shefali 4 years ago

Speechless..👌🏼👌🏼👌🏼

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