हर दिन हर पल बदलता है एक मौसम की तरह।
जिंदगी का कोई लम्हा कभी संरेखित नही होता।।
यू तो भीड़ में मिल जाते कई हाल पूछने वाले।
पर जो एकेले दर्द समजे ऐसा कोई अपना नही होता।।
हर कोई चाहता है जिंदगी को संरेखित चलाना।
पर लिखा होता ऐसा तकदीरों में तो कोई कभी जुदा न होता।।

#संरेखित

Hindi Shayri by Tasleem Shal : 111366350
siddharaj 4 years ago

काश वो हमारे होते हम तो सिर्फ उसकेही थे तकदीर ने अलग करदिया वरना रिश्ते तो सच्चे ही थे ।

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