हर दिन हर पल बदलता है एक मौसम की तरह।
जिंदगी का कोई लम्हा कभी संरेखित नही होता।।
यू तो भीड़ में मिल जाते कई हाल पूछने वाले।
पर जो एकेले दर्द समजे ऐसा कोई अपना नही होता।।
हर कोई चाहता है जिंदगी को संरेखित चलाना।
पर लिखा होता ऐसा तकदीरों में तो कोई कभी जुदा न होता।।
#संरेखित