होली पर होली के रंगों की चर्चा करना स्वाभाविक भी है और आवश्यक भी। अक्सर लोग-बाग सोचते हैं कि होली का एक ही रंग है क्योंकि जिये सो खेले फाग। मगर जनाब होली के रंग हजार हो सकते हैं, बस देखने वाले की नजर होनी चाहिए या फिर नजर के चश्मे सही होने चाहिए।
गांव की होली अलग, तो शहरों की होली अलग तो महानगरों की होली अलग। एक होली गीली तो एक होली सूखी। एक होली लठ्ठमार तो एक होली कोड़ामार। बरसाने की होली का अलग संसार तो कृष्ण की होली और राधा का अलग मजा। अफसरों की होली अलग तो चपरासियों की होली अलग। कोई चुटकी भर गुलाल को आदर और अदब के साथ लगाकर होली मना लेता हैं तो कोई रंग में सराबोर हो कर होली मनाता है।

Hindi Funny by Yashvant Kothari : 111355198

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