आशंका, व्याकुलता, झुंझुलाहट,नीरस के घोल बन चुके जवानी में बचपन की उत्सुकता और उमंग को खोजने के प्रयास में और बेचैन होते जा रहा हुँ। बचपन की उन सुबहों की बहुत कमी महसूस होती है जब हर सुबह इस खुशी से उठते थे की आज कुछ नया होगा अब सब नीरस हो गया है।अनजाने भय ने दिल में घर कर लिया है
#Expression

Hindi Blog by Mayur Patel : 111354828

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