वो गंगाधर वो जटाधर वही कामारी वही कपाली है,
मेरे शिव विश्वेश्वर ने ही तो सारी सृष्टि संभाली है।।
इष्ट वही है, शिष्ठ वही है वही तो सबसे विशिष्ठ है।
सब है मेरा उनके भरोसे महादेव ही तो शिपिविष्ठ है।।
क्या डरना आंधी तूफ़ानों से, है विसात क्या भूचाल की,
ये हृदय तुझको कैसी व्याकुलता तू शरण में है महाकाल की,
इस नश्वर शरीर की मृत्यु के भय से क्यों डरता है रे तू मन।
वो सकल सुजान सत्य सनातन बस तू उनका कर सुमरन।।
🙏ॐ नमः शिवाय__ॐ नमः शिवाय🙏