फकत निभाने आता है रस्में यू ही कभी मिलने आता नहीं,
इस तरह उनका मुख्तलिफ होना मुझसे देखा जाता नहीं,
मेरी मौत से पहले मेरी रूह से किए थे तमाम वादे मगर,
कब्र पुरानी हो गई फूल भी महंगे हो गए वो लाता नहीं...

Hindi Shayri by Satyendra prajapati : 111344329

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