भीतर की वासना को मारने के लिये गहरे ध्यान की आवश्यकता है। जब हम इस शरीर से परे हो जाते है सारे विचार त्याग देते है आत्मसंतुष्टि आ जाती है। मैं और मेरे से विमुक्त हो जाते है। तभी हम वास्तव में आनंद में जीते है। जो हो रहा है जो आपके बस में नही उसे ईश्वर की इच्छा माने। जो आप कर सकते है उसे कर्मयोगी बनकर फल की सोच त्यागकर करे।
Kunal saxena

Hindi Motivational by Kunal Saxena : 111343249

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