मन की बात....

ना तुम हिंदू हो ना मुसलमान हो,
सबसे पहले तुम इन्सान हो।

भला ये कौन है जो इन्सानों को इन्सानों में ही बाँट रहे हैं।
अपने सच्चाई को छुपाने के लिए अपने कुर्सी को ही चाट रहे हैं।

बँटवा दिया है इंसानीयत को किसी कानून की गोली से,
यही गोली चीरे जा रही मेरे वतन के सीने से।

राहे बना दी है सौ, जो गुमराह कर रही सालों से,
भगवान को भी डर लग रहा होगा उनके इन भक्तों से।

बात जो निकले भक्तों की, तो ठप्पे लगते देशद्रोही के,
तुम भी कर दो भक्ती किस दिन, समझो माफी तुम्हे मिलने हैं।

जितने सपने उँचे थे इनके, भूल गए उतनी गहरी खाई थी,
जो वो हलाका सा एक दिन चूक गये, तो भक्तों की सफाई थी।

समझने पड़ेगी यहाँ पहले chronology.
फिर भाड में जाए economy.

करलो आँखे बंद और दे दो हमारे साथ ,
वरना हम तो कर ही रहे हैं अपने मन की बात।

#Kavyostav -2

Hindi Poem by Chaitanya Kadam : 111340351

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