भारत की धरती
अध्यात्म की भरती

कृष्ण का जनादेश , जिसमे समाया गीता का आदेश
राम का आदेश , जिसमे समाया रामायण का जनादेश

रजनीश का बोध , कर जीवन की खोज
बुद्ध का बोध , परम शांति को खोज

दयानंद ने सच बताया , सत्यार्थ का प्रकाश दिखाया
हर ईश्वर को एक बताया , नानक ने भी विश्वास जताया

महावीर का उपदेश , अहिंसा का परम संदेश
कबीर का संदेश , गुरुज्ञान का परम उपदेश

वेद को सच मान , प्रज्ञा को परब्रह्म मान
तत्वमसि रूप में , खुद को अहम् ब्रम्हास्मि मान

मीरा और नरसिंह के भजन , करते भक्ति मार्ग का सर्जन
राधा और रुक्मणि के भजन , करते प्रेम मार्ग का विसर्जन

द्वैतवाद जान और अद्वैतवाद जान
अध्यात्म के इस रस्ते में सब निर्विवाद जान

सहज की समाधी , जीवन को जगाती
सम्बोधि का वो फल , सुख देता हर पल

जनक ने अष्टावक्र से पूछा , क्या हे मुक्त होने का रास्ता
अष्टावक्र ने कहा तू मुक्त ही हे , क्यों भटक रहा रास्ता



कविता के रचनाकार:
वेद चन्द्रकांतभाई पटेल
२४,गोकुल सोसाइटी ,
कड़ी, गुजरात Mob.-9723989893

English Religious by Ved Patel : 111325701

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