यूँ ही याद करते करते गुज़र गये कितने बरस
बस कुछ ही दिनो में आ जाऊंगी
ये कहाँ था तुमने
गया कितने ही बार तेरे घर
मिला हर बार ताला तेरे घर
टूटा नही हूँ और ना ही टुटने दूँगा
इस दिल को
क्योकिं है भरोसा इस दिल को
तू लौट के आयेगी इस प्यार के खातिर

Hindi Shayri by Kalyan Singh : 111323917

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