दिल को बिठा दिया पतंग में
छोड दिया खुले आसमान में
पर दिल क्या मालुम?
उसे तोडने के लिए दुसरी पतंगे
करती है साजिश।
दिपक

Hindi Shayri by Deepak Tokalwad : 111323587

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