जैसे को तैसा

"सुनो, ये जनाब कौन हैं ? तुम्हारा म्यूच्यूअल फ्रैंड है।" सुधीर ने अपनी पत्नी को प्रश्नचित दृष्टि डालकर पूछा।
"कौन है दिखाओ तो? अरे ये ऑफिस का ही सहकर्मी है।"प्रतिभा ने सुधीर के मोबाईल में देखकर बताया।
"तुम्हें कितनी बार कहा है कि ऐसे ही किसी फ्रैंड रिक्वेस्ट एक्सैप्ट मत किया करो। एक्सैप्ट करने से पहले मुझे पूछ तो लिया करो।" सुधीर ने प्रतिभा को आंखें तरेर कर कहा।
"तुम्हारी भी तो महिला मित्र हैं ! मैंने तो कभी नहीं कहा आपसे ! आप मुझसे पूछकर फ्रैंड रिक्वेस्ट एक्सैप्ट किया करो।" प्रतिभा ने सुधीर की आंखों में आंखें डालकर कहा।
तभी सुधीर ने गुस्से में आकर जोरदार थप्पड़ प्रतिभा की गाल पर रसीद कर दिया।
"अब ..अब मैं तुमसे पूछूंगा कि....कि मुझे क्या करना है क्या नहीं???" सुधीर गुस्से में चिल्लाया।
च...टा..क...
सुधीर क्षणभर के लिए सन्न रह गया । वह संभल पाता उससे पहले प्रतिभा ने बिना पल गंवाए सुधीर की गाल पर एक और चांटा ब्याज समेत लौटा दिया।
"और हां सुनो, मैं कोई तुम्हारी जागीर नहीं हूँ ! जितना हक तुम्हारा मुझ पर है उतना ही मेरा भी तुम पर है। तुम्हें मुझसे प्रश्न पूछने का हक है तो मुझे भी है। आगे से ख्याल रखना, जैसा व्यवहार करोगे वैसा ही पाओगे!"
प्रतिभा का ऐसा रूप देखकर सुधीर गाल सहलाता रह गया।

एमके कागदाना
फतेहाबाद हरियाणा

Hindi Story by एमके कागदाना : 111323407

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