जो हमारे एक चुटकुले से मुस्कुराया करती थी,
उसे हमारी पूरी कविता से भी कुछ फर्क नहीं पड़ता..
कल तक जो हमारी चौट पर दौड़कर चली आती थी,(Meera)
आज उन्हें हमारी मौत से भी कुछ फर्क नहीं पड़ता...

Hindi Shayri by Prakash Vaghasiya : 111319158

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