नहीं रांझा बना कोई लिपट कर हीर से फौजी।
हमेशा खेलता है तोप या शमशीर से फौजी।
बने चट्टान घबराए न कोई पीर से फौजी।
उदय जब पुण्य होते हैं बने तकदीर से फौजी।।
भरत सिंह रावत भोपाल
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