ख्वाबोंका समंदर कुछ इस तरह से ठहेरा है . . .
शिकायतोंका मंज़र कुछ ज्यादा ही गहेरा है . .
मुलाकातोंसे परहेज़ ना रख ए दिल . . .
आँखोंमें आज भी तेरा ही चहेरा है ! ! !

Hindi Blog by Divyarajsinh Vaghela : 111316126

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