बूंद बूंद मेह टपकता रहा टिप टिप यादें दस्तक देती रही
गुजर गया यह साल भी कुछ नफे नुक्सान की पोटली थमा कर
नए साल की आहट उम्मीद की सांस पर नए गीत शब्दों में बुनती रही

रंजू भाटिया

Hindi Poem by Ranju Bhatia : 111315996

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