खुद से ही अपने आँसू छुपा रहे हैं कैसे कहें बिटिया
हम कैसे तेरी विदाई का सामान बना रहे हैं....
हर पल डर रहता है कहीं कोई कमी न रह जाए
कमी होने से ससुराल में तुझे कुछ सुनना न पड़ जाए
कहीं सोच पापा की परेशानी, तू अपना मन न मार जाए
ज़माने भर की खुशियां तेरे कदमो में लुटाना चाह रहे हैं
कैसे कहें बिटिया कैसे तेरी विदाई का सामान बना रहे हैं ....
आज तक प्राइस टेग देखनी वाली तेरी माँ
आज बस तेरी ही खुशीयों को देख रही है
मन की हर इच्छा पूरी करे तू बस यही सोच रही है
पापा भी तेरी पसंद का हर सामान दिलाना चाह रहे हैं
कैसे कहें बिटिया कैसे तेरी विदाई का सामान बना रहे हैं ....
जब मजाक - मजाक में लोग तुझसे कहते हैं
कितने दिन हैं शादी में, गिना तुझे चिढ़ाते रहते हैं....
सोच तेरी विदाई के क्षण हमारा मन सिहर जाता है
बेटी की विदाई का दर्द ,बेटी वाला ही समझ पाता है
लाख जतन करें फिर भी नयनों के कोर भीगे जा रहे हैं
कैसे कहें बिटिया कैसे तेरी विदाई का सामान बना रहे हैं ....
दुनियां की रस्मों को निभाना भी जरूरी है
बेटी की विदाई माँ - बाप की मजबूरी है
पर इतना याद रखना घर से विदा होगी तू
कभी न हमारे दिल से जुदा होगी तू
बेटी संग हम दामाद के रूप में बेटा पा रहे हैं
कैसे कहें बिटिया कैसे तेरी विदाई का सामान बना रहे हैं ....
प्रिया वच्छानी
#बेटीकीविदाई #माँपापा #दहेज #विदाईकीतैयारी

Hindi Poem by Priya Vachhani : 111314606

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