सूर्य ग्रहण की किरणें से सीखा
कट कर भी समता बन जाना...
अंधकार सी उज्ज्वल बेला में
सृष्टि में जीवन देना...
समता,ममता सविता का धन है..
धौरी बन तृण को पगुराना..
#सपनों में जब परियाँ आ जाए
पाखी बन बगिया में उड़ जाना...
#हिंदी_का_विस्तार
#हिंदी_शब्द
#डॉरीना

Hindi Poem by डॉ अनामिका : 111313574

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now