तुम जानते नही हो /स्याह घेरे मेरी आँखों के/क्यों इतने गहरे है/ लम्बी रातें है/दिन क्यों इतने ठहरे है / यूँ ही जो कौंच देते हो मुझे सरे राह/कहकर रात की अंधेरी गुफा/ हरसिंगार सी झड़ जाती है /पंखुरियाँ मेरी उदासी से/ यूँ ही जो कह देते हो न/अक्सर/कुछ भी/अपना समझ कर/अपना समझा होता तो/ यह स्याह घेरे घनेरे न होते/ काश तुम पूरे के पूरे मेरे होते 💐💐

Hindi Shayri by Neelima Sharma : 111308648

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