इश्क

धड़कनों में धड़कता हूँ,
साँसों में महकता हूँ,
आँखों में बसकर,
सपनों में दिखता हूँ
मुस्कान में खिलता हूँ,
आँसुओं में बहता हूँ,
सिसकियों में रह कर,
तन्हाईयों में सिसकता हूँ,
हाँ...हाँ इश्क हूँ मैं जो,
खुशी में पलता हूँ और दर्द में ढलता हूँ।

✍🏻शिल्पी सक्सेना

Hindi Romance by Shilpi Saxena_Barkha_ : 111306554

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now