जिंदगी के रंग रूप

ए जिंदगी तेरे हर रंग रूप देखते रहे
कभी छाँव तो कभी धूप देखते रहे

रुलाया उम्रभर तूने दिखाके ख्वाब,
छुपाये आँसू को, होके चुप देखते रहे

हारकर दूसरों की खुशी के लिए हम,
हँसते हुवे सबको गूप-चुप देखते रहे

जिस तारोंमें हमारी लिखि थी किस्मत
वह सितारे भी हमसे छुप, देखते रहे

खुल गए पत्ते तेरी किताब के तब भी
हम तो तेरे ही दिए प्रारूप देखते रहे

"आर्यम्"

Hindi Poem by Parmar Bhavesh : 111303161

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