शायद वो अंधेरा ही था जो सही रास्ता दिखा रहा था ।
उजाला तो रास्ते दिखाकर भी गुमराह कर रहा था ।

शायद वो बुरा वक्त ही मुझे अंदर से मज़बूत बना रहा था ।
सही वक्त तो मेरी कमजोरियो को छुपा रहा था ।

शायद गिरने का डर ही संभल के चलना सिखा रहा था ।
कीसीके सहारे चलना मैं बहादुरी समझ रहा था ।

शायद वो तन्हाई ही मुझसे बाते किया करती थी ।
लोगो की बातों का मतलब ही नही मिल पा रहा था ।

शायद में ही गलत था जो में खुदको ना समज पाया।
क्योकि,दुशरो के नजरिएमें , में अपनेआप को ढूंढ रहा था।

Hindi Motivational by Raaj : 111299190

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