गिर रहा हूँ , गिर चुका हूँ
दर्द क्यों होता नहीं ?

ऐ ख़ुदा , बता ख़ुदा ,
कोई मर्ज़ क्यों होता नहीं ?

हंस रहा हूँ , इस हंसी का
कर्ज़ क्यों होता नहीं ?

किताब तेरी , गुनाह मेरा ,
गुनाह दर्ज क्यों होता नहीं ?

दो कदम चल लिया , दो कदम हूँ चल रहा -
फ़ासले में फिर भला कुछ
फ़क़ क्यों होता नहीं ?

अश्क बक्श दे रो रहा हूँ
नींद बक्श दे सो रहा हूँ
पा रहा हूँ , खो रहा हूँ
ग़म दे रहा हूँ , ढो रहा हूँ
बेसब्र मैं हूँ सब्र में
लाश ज़िंदा है मेरी
क्यों खाल की इस कब्र में ?

Hindi Thought by Divyarajsinh Vaghela : 111296354

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now