कब लफ़्ज़ों से जुड़ सकता है जो
टूट गया सो टूट गया
वो नाज़ुक से कांच का दिल जो
टूट गया सो टूट गया
कब बारिश को बूंदे छन कर
कोई महल बनाया जाता है
ये ख्वाब है बादल आंखों का जो
टूट गया सो टूट गया
एक आह उठी जो रातों में
किस्मत के तारे तोड़ गयी
हाथो में जाल लकीरों का जो
टूट गया सो टूट गया
क्यों गिन गिन कर दिन जीते हो
अनमोल है जीवन राह तेरी
ये जहां घर है एक सांसो का
जो टूट गया सो टूट गया
ये रात अंधेरी क्या चमकेगी
चाँद से अब पर्दा कर के
नैना वो किस्मत का तारा जो
टूट गया सो टूट गया।