ग़ज़ल
इन आंखों को किसी के वास्ते अब नम किया जाए,
किसी की जिंदगी का दर्द थोड़ा कम किया जाए,,
नई यारी में जो यारी पुरानी भूल बैठे हैं,
हवाले आज उनके याद का मौसम किया जाए,
हरा अपना वो कहते हैं, वो कहते अपना केसरिया,
चलो अब भाईचारे का नया परचम किया जाए,,
लगाते आग मजहब की , वतन में लोग जो अक्सर,
तो ऐंसीं सोच को मिल कर चलो बेदम किया जाए,,
जो मेरी याद में तन्हाई की चादर लपेटे है,
बड़े गमगीन है रावत, उन्हे बे ग़म किया जाए,,

रचनाकार
भरत सिंह रावत
भोपाल
7999473420
9993685955

Hindi Blog by Bharat Singh Rawat Kavi : 111293520

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