अब तो

ईस भवसागर मे फसी ईस कदर
अब तो मेरी,
नैया भी तुम खिवैया भी तुम

कैसे पाउं तुम्हे बिना साधे
अब तो मेरे
साधन भी तुम ओर साध्य भी तुम

किस कदर बया करु पीछे छुट जाने का डर
अब तो मेरा,
रास्ता भी तुम ओर मंजिल भी तुभ

कैसे बिताऊ ये जिवन रूप सफर
अब तो मेरा,
अंत भी तुम ओर आरंभ भी तुम

कहा जाऊ ईस संसारमे तुम्हारे सिवा
अब तो मेरा,
उदगम भी तुम ओर संगम भी

-किंजल पटेल (किरा)

Hindi Romance by Kinjal Patel : 111290702

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