डुबोकर दर्द की स्याही में जब कलम चलाई
घाव बनें नासूर तब कहीं कविता बन पाई।
प्रिया

Hindi Shayri by Priya Vachhani : 111290480
Namita Gupta 4 years ago

दर्द और एहसास ना हो तो कविता कहां बनती है । नदियाँ भी तो जाकर सागर में ही मिलती है।।

Darshita Babubhai Shah 4 years ago

कविता दर्द मे ही जन्म लेती है ll

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