सुनो ....
आना तो है हमको पास
पर अभी कोई जल्दी नहीं....
भर जाने दो ज़ख्मो को
सूखकर बिखर जाने दो
नमक इन आंखों का...
उड़ जाने दो सारी महक
इन हवाओ में...
ताकि यादों के दरवाजे से
आ ना सके कभी कोई महक
नमक की परत को साथ ले
करने इन ज़ख्मों को नासूर...
सुनो.....
मुझसे मिलने से पहले
झाड़ लेना सारे पुराने
ख्वाबों की किरचन को...
कहीं ये किरचन नए रास्तों पर
नए ज़ख्मों की सौगात न दे जाए।
प्रिया

Hindi Poem by Priya Vachhani : 111288902

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