पत्थर के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है..
आजकल हवा के लिए रोशनदान कौन रखता है ..!
अपने घर की कलह से फुरसत मिले तो सूने..
आज कल पराई दीवाल पर कौन कौन रहता है ..!
खुद कि पंख लगाकर ऊडा देते है चिडिया को ..
आज कल परिंदो मैं जान कौन रखता ह..!
हर चीज मुहिया हैं मेरे शहर किशतो पर..
आज कल हसरतो पर लगाम कौन रखता है ..!
फिजूल बतो पर सब करते है वह वाह ...
अच्छी बातो को अब जुबान कौन रखता है ..!