जरूरत हैं जिने के लिए कमाने की,
लेकिन लोग जीते हैं कमाने के लिए।
नजाने फिर कब मिलेगी ऐसी जिंदगी,
तो क्यों जीते हो जमाने के लिए ।।

Hindi Shayri by Raaj : 111284825

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now