थोड़ा सा थक जाता हूं मैं इसीलिए दूर निकलना छोड़ दिया है पर ऐसा नहीं है कि अब मैंने चलना छोड़ दिया है फासले अक्सर रिश्तो में अजीब सी दूरियां बढ़ा देते हैं पर अब ऐसा नहीं है कि मैंने अपनों से मिलना छोड़ दिया है . हां जरा सा अकेला महसूस करता हूं खुद को अपनों की ही भीड़ में . . पर ऐसा नहीं है कि मैंने अपनापन ही छोड़ दिया है याद तो करता हूं सभी को और परवाह कर लेता हूं किसी किसी की . पर कितनी करता हूं यह सब को बताना छोड़ दिया ...#shivan

Hindi Shayri by Poorav : 111282856

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