हर साल नूर ठहरता है मेरे आंगन में जैसे

खुशियों की बरसात होती है रूह में जैसे।


मैं हर बार उसकी उम्मीद में दिए जलाती हूं,

ना जाने कब तक़दीर बनेगी तस्वीर में जैसे?

Hindi Thought by Jigisha Raj : 111277066

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