मैं "मौन" हूँ
जो कभी व्यर्थ नहीं जाता
बस्तियों में उजाला ही रहे हरदम
ऐसा कहाँ होता है
अंधेरा होते ही सब आवाजें सो जातीं है
और मैं ,
हमेशा ही
हर उजाले अंधेरे से वाकिफ़
सदियों से एक कोने में खड़ा
नये नये गल्प
नये अध्याय गढ़ लेता हूँ

जीवन को कुछ तथ्य कुछ सत्य
कुछ वक्त देने के लिए ...

वो सत्य , तथ्य और वक्त
जिसमें मेरी यानि "मौन" की पहचान हो सके

#pranjali ...

Hindi Poem by Pranjali Awasthi : 111275622

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