स्वप्न जो आँखों में हैं,
वो नीर बनकर बह न जाए,
मिल सकी जो ना सफलता,
पीर बनकर रह न जाए,
उठ खड़े हो सपनों के,
पँखों को फिर आकाश करके,
मुस्कुराहट तुम बिखेरो,
मैं सृजन का हर्ष हूँ,
बीज डालो फिर उगूँगा,
मैं तो भारतवर्ष हूँ।।
-राकेश सागर

Hindi Song by Rakesh Kumar Pandey Sagar : 111270677

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