विचार हो ऐसा जो सकारात्मक हो ।
मन हो ऐसा जो इच्छा रहित हो ।।
दिल हो ऐसा जो दानी हो ।
आख हो ऐसा जो दूसरो के दुख दर्द हो सके ।।

हाथ हो ऐसा जो दूसरो के काम आ सके ।
पैर हो ऐसा जो दूसरो का बोझ उठा सके ।।
सेवा करो इतना जिसकी कोई सीमा ना हो ।
बोलो ऐसा जो दूसरो को ज्ञान दे सके ।।

कपड़ा हो इतना जो तन ढक सके।
घर हो उतना जिसमे रह सके ।।
भोजन करो ऐसा जो सात्विक हो ।
सामान हो इतना जो उपयोग हो सके ।।

Hindi Thought by Kalyan Singh : 111270311

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