प्रेम का हूँ मैं शिखर,
इतिहास मेरा प्रेम है,
हूँ बहुत कुछ झेलता,
फिर भी परोसा प्रेम है,
हारने का डर नहीं,
आकर सिकंदर भी झुका था,
आहुति देकर लहू की,
मैं मनाता पर्व हूँ,
बीज डालो फिर उगूँगा,
मैं तो भारतवर्ष हूँ।।
-राकेश सागर

Hindi Song by Rakesh Kumar Pandey Sagar : 111269955

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