थामे हाथ में लाठी,
बड़े महान थे वे गांधी,
सत्य - अहिंसा जिनका पथ
सदा रहते थे कार्यो में रत,
सादा था जिनका जीवन,
निर्मल बड़ा था जिनका मन,
उनकी बात निराली थी,
मीठी बड़ी उनकी वाणी थी,
करुणा - प्रेम के थे वे मुरत,
शांत बड़ी थी उनकी सुरत,
धोती - कुर्ता अपनाया था,
खादी का चलन चलता था,
दया - भाव था जिसका धर्म,
देश - भक्ति था जिनका कर्म,
देश को कुटुंब सा माना था,
सब को संतान सा जाना था,
वो तो थे एक चलती आंधी,
ऎसे थे अपने बापू गांधी।

उमा वैष्णव
मौलिक और स्वरचित

Hindi Gandhigiri by Uma Vaishnav : 111264943

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