रोज़ उसके मेल आते हैं,
जो मैं पढ़ती ज़रूर हूँ,
पर ज़वाब नहीं देती।
रोज़ उसके कोल आते हैं,
जो मैंने ब्लॉक कर रखें है।
रोज़ उसकी याद दिलाते हैं वो रास्ते,
जहाँ से मैं हर रोज़ गुज़रती हूँ।

रोज़ उसके सपने आते हैं,
उसे देखती हूँ,
उससे बातें करती हूँ,
उसे समझने की कोशिश करती हूँ,
पर,
हाँ पर फ़िर भी ना जाने क्यों
उसे कुछ कह नहीं सकती।

ख़्वाबों की बातें हक़ीक़त क्यों नहीं बनती?
हक़ीक़त ख़्वाब सी क्यों नहीं हो जाती?
आख़िर क्यों कोई बात आसान नहीं लगती?
मोहब्बत में ऐसा कोई मकाँ क्यों आता है?
जहाँ मैं मैं नहीं रहती,
वो वो नहीं रहता?

कल पढ़ा था कहीं,
सुना भी था।
हर कहानी मुकम्मल नहीं होती,
हर प्यार की तक़दीर मंज़िल नहीं पाती।

दिलों के अरमान फ़िर क्यों आँधी की तरह
सब कुछ उड़ा ले जाते हैं?
चैन, नींद, सुकून या ख़ुशी
सब बारिश की तरह हो जाते हैं।
जहाँ बरसते हैं तो दिल-ओ-जान भीग जाते हैं ।
या फिर नहीं बरसते तो बस तरसा जाते हैं।

ए बारिश अब के ज़रा हिसाब से बरसना,
कहीं मैं प्यासी ना रह जाऊँ
और कहीं वो यादों में ना भीग जाये।

जिगीषा राज

Hindi Good Night by Jigisha Raj : 111262910

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