एक खामोशी तेरी , एक खामोशी मेरी,
जब भी में तुझे देखूं बस देखती ही रहूं,
जब भी तू मुझे देखे बस देखता ही रहे,
तेरी खामोशी में समजु मेरी खामोशी तू,
बस यूंही तू मुझे देखे और में तुझे देखूं,
ना ही एक अल्फ़ाज़ निकले, ना ही एक आह निकले,
एक खामोशी तेरी, एक खामोशी मेरी।।

Hindi Blog by Adv Nidhi Makwana : 111259428

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