हम अपने ही दुःख मैं मशगूल थे , अपनी ही ज़िन्दगी मैं चूर - चूर थे कि कभी किसी और का दुख तकलीफ देखने को ही नहीं मिली । आज पता चला कि हम एयवाई ही ईश्वर को कोस रहे थे , जो उसने कभी किया ही नहीं उसका दोष उसके सर माथे थोप रहे थे ।

Hindi Poem by short sweet : 111259221

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