"गुजरे हुए कल की कोई दवा ले आओ
मयकदा बहक गया है बिन पैमाने के"
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Hindi Shayri by डॉ अनामिका : 111258408
Dharmesh Vala 5 years ago

सर से पैर तक खुद को डुबो दिया मयखाने में... नशा उसका जो दुर करे, दम नहीं कोई पैमाने में...

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