"अपभ्रंश बगैर
शौरसेनी,पैशाची, ब्राचड़,खस,महाराष्ट्री,मागधी,का कहाँ हो सकता उत्थान"?
"आभीरों और मीणा की बोलियाँ भी हिंदी में पातीं हैं स्थान" ..
"हिंदी बगैर सरल नहीं,गणित,इतिहास,भूगोल और विज्ञान"
तो आओ करें हम सब मिलजुलकर #हिंदी_का_विस्तार
#अनामिका
#डॉरीना

Hindi Poem by डॉ अनामिका : 111255571

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