प्यार का ये कैसा इम्तेहान है मेरा
प्यार तो बेपनाह है आपसे पर
प्यार कर भी नहीं शकती ओर
प्यार किए बिना रह भी नहीं शकती।

- वानी - शब्दों की खोज में

Hindi Shayri by Anita Gor : 111251418

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