जाने कभी गुलाब लगती हे
जाने कभी शबाब लगती हे
तेरी आखें ही हमें बहारों का ख्बाब लगती हे
में पिए रहु या न पिए रहु,
लड़खड़ाकर ही चलता हु
क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब लगती हे
???????

बेपना मोहबतें -

Hindi Blog by Laxman Vadher : 111250066

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now