मैं अपनों के दिए दर्द से तड़पी हूँ,
ख़ता नहीं गुनाह हैं,कि मैं एक लड़की हूँ...
सजा मुकर्रर हो गयी है मेरी,
बीस की हो गयी है, अब किस बात की देरी..
मैं खुद ही अपने दर्द से लड़ती हूँ,
ख़ता नहीं गुनाह है, कि मैं एक लड़की हूँ
-SVjoshi

Hindi Blog by Sv joshi : 111249288

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