जो खुद तो देखते थे, ख्वाब दिखाया भी तो करते थे,दिन हो या रात ख्वाब में नींद और चैन लूटाये हुए थे। चैन की नींद मांगना इतनी बड़ी गलती थी कि आज सारा दिन बिना नींद सोया करते है...इन सब के गवाह ये राते और ये तारे आज हमारे दर्शन न होने की शिकायतें करते है...हम बिना पछताए उन्हें भी कहते है कि "हां... यहीं हूं मैं...।"


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Gujarati Poem by Trilokdan Gadhavi : 111246060

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