डाकिया डाक लाता |
डाकिया डाक लाता |
हर इंसान के लिये नया पैगाम लाता |
इंतजार मे उनके घंटो निकल जाता |
किसीके चहेरे पे ख़ुशी तो
किसीके लिये गम लाता |
देखकर ख़ुशी किसीकी वो जी भर के मुस्कुराता |
ओर देखके किसीको वो गमगीन हो जाता |
फलसफा देखकर जिंदगी का
वो पल मे मुस्कुराता और पल मे रोदे ता |
मिट गया सारा खेल पुराना |
अब औरो की ख़ुशी सिर्फ,,
औरो की बनके रहे गयी,,
आँशु ओ की कीमत अब शुन्य रहे गयी,,
लतीफा देने आता था,,
वो गम बाटके जाता था,,
खुशियों की क्या बात करें,,
चौगनी करके जाता था,,
अब ना रहा डाक,,,
ना रहा डाकिया,, |

Hindi Poem by Alpa : 111244141

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