रखकर जेब मे तहेजीब लोग घुम रहे है |
" आजकल "
हस ने की भी वजह लोग ढूंढ़ रहे है |
"आजकल "
रोना चाहे तो रो भी नहीं पाते . |
"आजकल "
आँशु ओ मे भी मिलावट हो रही है |
"आजकल "
रिश्तों की क्या बात करें अब |
" आजकल "
पल दो पल मे बदल जा रहे है |
"आजकल "
कागज की नैया बनती रही खिलोनो सी अबतक
अब रिश्ते कागज के बन रहे है |
"आजकल "

Hindi Poem by Alpa : 111241895

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