जलन !

युं हि चल रहे थे ,
एकेले ही जल रहे थे |
सोचाथा कोई हमराह मिलेगा ,
हमराज उसे बना लेंगे |
एक हमसफर मिला भी | पर...
हम से पेहले हमे हि हमराज बना गया,
अपने गमोसें हमारी जलन बढा गया |

--सु र कुलकर्णी

Hindi Poem by suresh kulkarni : 111234678

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